200 सालो से बरमूडा ट्रैंगल एक मिस्ट्री है यहां से गुजरने वाले ना जाने कितने विमान और जहाज गायब हो चुके हैं।इसक करण इसे शैतानी त्रिभुज भी बोला गया है।असल नक़्शे में बरमूडा नामक किसी ट्रायंगल का कोई पता नहीं है। ये एक इमेजिनरी ट्रायंगल है।बरमूडा ट्रायंगल नार्थ वेस्ट अटलांटिक महासागर का हिस्सा है। इस ट्रायंगल के तीनो कोने बरमूडा,मियामी और संजुआन (पुरेटो रीको) है। 440000 माइल्स में फैला हुआ यह ट्रायंगल हमेशा से ही सुर्ख़ियों में रहा है।
इतिहास
अमेरिकी जहाज साइक्लोप्स पहली बार 1918 में गायब हो गया था। 1963 में सी सल्फर क्वीन वन नामक एक जहाज लापता हो गया है और 1872 में मैरी नामक एक जहाज भी गायब हो गया जिसका कोई पता नहीं चला। इसके बाद भी कई भयानक दुर्घटनाएँ हुईं।19 दिसंबर 1945 को फ्लाइट -19 के पांच विमान टीपीएस बम गिराने वाले लापता हो गए। इन पांच अभियानों में अमेरिकी नौसेना के 14 पायलट थे।
इनका कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया और कुछ पता नहीं चला ।दुनिया को 16 सितंबर 1950 को एक अमेरिकी अखबार के विज्ञापन से बरमूडा ट्रिंगल के बारे में पता चला।इसके दो साल बाद अमेरिकी पत्रिका ने फ्लाइट-19 के लापता होने की खबर प्रकाशित की। इसके बाद से दुनिया बरमूडा ट्रायंगल की गुथी सुलझाने मे लग गयी।अक्सर इस इलाके में कप्म्पस बंद हो जाने की वजह से दर्जनो विमान और जहाज रास्ता भटक गए और कभी नहीं लौटे।
सिद्धांत
- कुछ लोगो का मानना है यह शैतानी ताकतों का वास है इसलिए यह भूतिया ट्रायंगल है।
- तो कोइ आपनी हेक्सालोनल क्लोड्स का सिद्धांत देता है।
- कुछ सिद्धांत के हिसाब से इस इलाके म मीथेन हाइड्रेट की बहुत्तम है यह गैस विमानो और जहाजों के टुकड़े करने की क्षमता रखती है।
- इस इलाके म शक्तिशाली समुंद्री तूफान आते रहते है जिसे जहाजो क डुबने का जिमेवार माना गया है।
- हालांकि कुछ लोगो का मानना है ट्रायंगल की सतह पर एक विशाल विशाल पिरामिड है जिसकी तरंगे बड़े से बड़े विमानों और जहाजों को अपनी चपेट में ले लेती है।
- कुछ साइंटिस्ट्स का कहना है कि इस इलाके में एलियन्स का कण्ट्रोल है वह इस जगह से धरती से संपर्क जोड़ते है।
- कुछ सिद्धांत यह भी है कि इस ट्रायंगल के निचे अतलांटिक्स शहर हुआ करता था।जिस्की रिहसमाई क्रिस्टल से उरजा की तरंगे निकलती है।जिससे जब भी कोई जहाज या विमान इन तरंगो के संपर्क में आते है तो वह बर्बाद हो जाते है।
- इस क्षेत्र में तेज हवाओं के साथ बिजली गिरती है।जो विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र बनाता है।यहां पहुंचने पर, कोई भी जहाज या विमान अपना संपर्क खो देता है।इस क्षेत्र में आते हैं, सभी उपकरण बंद हो जाते हैं।
- या यह मानवीय दोष हो सकता है जो इन दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। पायलट द्वारा ठीक से प्रशिक्षित नहीं होने के कारण ऐसी दुर्घटनाएं आमतौर पर होती हैं।
बरमूडा ट्रायंगल पर बहुत अध्ययन के बाद, अब वैज्ञानिकों ने इसके चारों ओर के मौसम को जिम्मेदार ठहराया है।इस अध्ययन में ऐसी कई बातें पता चलीं। जिसके कारण वैज्ञानिक रहस्य को सुलझाने का दावा करते हैं।विज्ञान चैनल "पृथ्वी पर क्या है"पर प्रकशित रिपोर्ट में दावा किया गया है।सभी घटनाओं के लिए अजीब बादलों की उपस्थिति जिम्मेदार है।इन बादलों को हेक्सागोनल बादल कहा जाता है।जिसके पास हवा में बम विस्फोट करने की क्षमता है।इतना ही नहीं, यह हवाएं 170 मिली प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं।यह हवाएँ और बादल पानी और हवा में धाराओं और विमानों को इंगित करते हैंऔर उन्हें नष्ट कर देता है।वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तेज हवाएं इन बादलों की जन्म देती हैं।इस अजीब दिखने वाले बादलों की सीमा कम से कम 45 फीट है। उनके आकार के कारण, उन्हें हेक्सागोनल बादल कहा जाता है।अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) सैटलाइट द्वारा ली गई बादलो की कुछ तस्वीरें इसकी पुष्टि करती हैं।जिससे अब यह कहा जा सकता है।बरबुडा ट्रायंगल का रहस्य अब सुलझ गया है।
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